ईश्वर प्रश्नोत्तरी March 29, 2020 By Arun Aryaveer ईश्वर प्र. १) ईश्वर कितने हैं ? उत्तर : ईश्वर एक है तथा उसी के अनेकों नाम हैं। प्र. २) ईश्वर का मुख्य नाम एवं उसका अर्थ क्या है ? उत्तर : ईश्वर का मुख्य नाम ‘ओ३म्’ है जिसका अर्थ है ईश्वर हम सब जीवों की सब ओर से सतत रक्षा करता है। प्र. ३) ईश्वर के कुल कितने नाम हैं ? उत्तर : ईश्वर के अनगिनत नाम हैं। प्र. ४) ईश्वर के अनेकों नाम किस आधार से हैं ? उत्तर : ईश्वर के अनेकों नाम उसके असंख्यात गुण, कर्म और स्वभाव के कारण से हैं। प्र. ५) क्या ईश्वर कभी जन्म लेता है ? उत्तर : नहीं, ईश्वर कभी जन्म नहीं लेता, वह अजन्मा है। प्र. ६) स्तुति, प्रार्थना, उपासना किसकी करनी चाहिए ? उत्तर : स्तुति, प्रार्थना, उपासना केवल ईश्वर की ही करनी चाहिए। प्र. ७) ईश्वर से अधिक सामर्थ्यशाली कौन है ? उत्तर : ईश्वर से अधिक सामर्थ्यशाली और कोई नहीं है, वह सर्वशक्तिमान् है। प्र. ८) ईश्वर के कुछ प्रसिद्ध नामों का तात्पर्य बताएं ? उत्तर : सबसे बड़ा होने से ईश्वर ब्रह्म, संसार का रचयिता होने से ब्रह्मा, सर्वत्र व्यापक होने से विष्णु, सबका कल्याणकर्ता होने से शिव, दुष्टों को दण्ड देकर रुलाने से रुद्र, सबका पालन करने से प्रजापति, ऐश्वर्यशाली एवं ऐश्वर्यदाता होने से ईश्वर को इन्द्र कहते हैं। प्र. ९) ईश्वर के कुछ अप्रसिद्ध नामों का तात्पर्य बताएं ? उत्तर : ज्ञानस्वरूप होने से ईश्वर अग्नि, चराचर जगत् के धारण-जीवन और प्रलय करने तथा सबसे अधिक बलवान होने से वायु, दुष्टों को दण्ड देने तथा अव्यक्त एवं परमाणुओं का संयोग वियोग करनेवाला होने से जल, विस्तृत जगत् का विस्तारकर्ता होने से पृथिवी, सब ओर से जगत का प्रकाशक होने से आकाश, ईश्वर का कभी विनाश नहीं होता इसीसे उसका नाम आदित्य, स्वप्रकाशस्वरूप सबके प्रकाश करने इसी प्रकार चराचर जगत के आत्मा होने से सूर्य, स्वयं आनन्दस्वरूप सबको आनन्द देनेवाला ईश्वर चन्द्र है। आप मंगलस्वरूप सबका मंगलकर्ता होने से ईश्वर मंगल, स्वयं बोधस्वरूप सभी जीवों के बोधका कारण ईश्वर बुध है। ईश्वर स्वयं अत्यन्त पवित्र और उसके संग से जीव भी पवित्र हो जाते हैं इससे वह शुक्र है। प्र. १०) ईश्वर को गणपति, नारायण, राहु, केतु, सरस्वती एवं लक्ष्मी क्यों कहते हैं ? उत्तर : गिनने योग्य समस्त जड़ों और जीवों का स्वामी होने से ईश्वर गणपति है। जल और जीवों को नारा तथा अयन घर को कहते हैं, अर्थात् जल और जीवों के निवास का स्थान होने से ईश्वर नारायण है। राहु अर्थात् ईश्वर सदा एकान्तस्वरूप याने उसमें कभी कोई पदार्थ घुलता-मिलता नहीं तथा दुष्टों को छोड़ने और अन्यों से छुड़ानेवाला है। केतु अर्थात् सब जगत का निवासस्थान, स्वयं रोगरहित और अन्यों को रोगमुक्त कराता है। सरस्वती अर्थात् ईश्वर में समस्त प्रकार के शब्द अर्थ सम्बन्ध प्रयोग का पूर्ण ज्ञान है और लक्ष्मी अर्थात् ईश्वर सबको आकार-प्रकार दे शक्लें बनाता और चराचर जगत को देखता है। प्र. ११) क्या ईश्वर के पुल्लिंग के अलावा स्त्रीलिंग एवं नपुंसक लिंग में भी नाम हैं ? उत्तर : ईश्वर का कोई लिंग नहीं परन्तु उसके नाम तीनों लिंगों में वेदादि शास्त्रों में पाए जाते हैं। जैसे ब्रह्म नाम नपुंसकलिंग ईश्वर पुल्लिंग और देवी स्त्रीलिंग में आता है। प्र. १२) ईश्वर के गुण कर्म एवं स्वभाव बताएं ? उत्तर : ईश्वर गुण हैं- अद्वितीय, सर्वशक्तिमान्, निराकार, सर्वव्यापक, अनादि, अनन्त आदि। ईश्वर के कर्म- जगत की उत्पत्ति पालन एवं विनाश करना तथा जीवों के कर्मों का फल देना एवं ईश्वर का स्वभाव अविनाशी, ज्ञानी, आनन्दी, शुद्ध, न्यायकारी, दयालु, अजन्मादि है। प्र. १३) दुःख कितने प्रकार के और कौन-कौन से होते हैं ? उत्तर : दुःख तीन प्रकार के होते हैं- १. आधिदैविक, २. आधिभौतिक एवं ३. आध्यात्मिक दुःख। प्र. १४) आधिदैविक दुःख किसे कहते हैं ? उत्तर : जड़ों से प्राप्त होनेवाले दुःख को आधिदैविक दुःख कहते हैं। जैसे अधिक सर्दी-गर्मी-वर्षा, प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकम्प-त्सुनामी-बाढ-अकाल आदि इसी प्रकार भूख-प्यास तथा मन की चंचलता या अशान्ति से होने वाले दुःख भी इसी श्रेणी में आते हैं। प्र. १५) आधिभौतिक दुःख किसे कहते हैं ? उत्तर : चेतनों से प्राप्त होनेवाले दुःख को आधिभौतिक दुःख कहते हैं। जैसे अन्य मनुष्य, पशु-पक्षी, कीट-पतंग, मक्खी-मच्छर, सांप इत्यादि से प्राप्त दुःख। प्र. १६) आध्यात्मिक दुःख किसे कहते हैं ? उत्तर : अपने स्वयं के अज्ञान वा गलतियों से प्राप्त दुःखों को आध्यात्मिक दुःख कहते हैं। जैसे अविद्या जनित राग-द्वेष, अंधविश्वास एवं गलत परम्पराओं से प्राप्त विभिन्न प्रकार के दुःख तथा शारीरिक रोग इत्यादि। प्र. १७) ‘‘सत्यार्थ प्रकाश’’ नामक ग्रन्थ की रचना किसने की थी ? उत्तर : ‘‘सत्यार्थ प्रकाश’’ नामक ग्रन्थ की रचना महर्षि दयानन्द ने की थी। Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.