आघारावाज्यभागाहुतिमन्त्राः
ओम् अग्नये स्वाहा। इदमग्नये – इदन्न मम।। 1।।
इस मन्त्र से वेदी के उत्तर भाग अग्नि में
ओं सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय – इदन्न मम।। 2।।
(गो.गृ.प्र.1/खं.8/सू.24) इससे दक्षिण भाग अग्नि में
ओं प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये – इदन्न मम।। 3।।
(यजु. 22 / 32)
ओम् इन्द्राय स्वाहा। इदमिन्द्राय – इदन्न मम।। 4।। (यजु.22/27) इन दोनों मन्त्रों से वेदी के मध्य में दो आहुतियां