47. समिधाग्निम्… सुसमिद्धाय.. २..!!

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ओं समिधाग्निं दुवस्यत घृतैर्बोधयतातिथिम्।

आस्मिन् हव्या जुहोतन स्वाहा।।

इदमग्नये – इदन्न मम।। 2।। (यजु. 3/1) इससे और..

सुसमिद्धाय शोचिषे घृतं तीव्रं जुहोतन।

अग्नये जातवेदसे स्वाहा।।

इदमग्नये जातवेदसे – इदन्न मम।। 3।। (यजु.3/2)इस मन्त्र से अर्थात् दोनों मन्त्रों से दूसरी

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