भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
2 – नदियाँ
जहां त्रिवेणी, गंगा, यमुना, सरस्वती शुचि नदी विशाल।
ब्रह्मपुत्र, सरयू, रावी नद् व्यास, सिन्धु बहतीं सब काल।।
कृष्णा, गोदावरी, नर्मदा, झेलम, सतलज हैं प्रतिपाल।
ले जाती हैं सब तापों को धोकर भागीरथ की चाल।।
पातक रुग्ण नहाकर जिनके पावन जल में हुए निहाल।
पतित-पावनी सरिता कहकर जिन्हें पुकारत भारत-लाल।।
यती, सती जपते हैं जिनके तट पर परमेश्वर की माल।
जिनके तट की समीर-शीतल काटत सब रोगों का जाल।।
जड़, चेतन सब निशिदिन करते जिनके शुद्ध जलपान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।