भारत गौरव गान या भारत चालीसा
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
18 – संयमी
जहां हुए संयमी पुरुष प्रिय देव तुल्य सद चरित्रवान।
राम, लखन ने पत्निव्रत हित तज दी थी शूर्पनखी शान।।
माता कह कर अर्जुन ने था किया उर्वशी का सम्मान।
कुनाल ने आँखे फुड़वाली रख कर माँ-बेटे का मान।।
पुरु ने बहिन बनाली थी रिपु रुस्तम को रख लाज युनान।
वीर शिवाजी ने मुस्लिम तिय को कह मात किया सम्मान।
दयानन्द ने किसी नारी से यूं छू जाने पर अन्जान।
तीन दिवस तक किया प्रायश्चित करके अनशन धर प्रभु ध्यान।।
जिनके चरित्र बल से ही फिर जागा हिन्दोस्तान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
है भूमण्डल में आर्यावर्त महान।।