अथाचमनमन्त्रः (~जीवन लक्ष्य)
ओ३म् शन्नो देवीरभिष्टय ऽ आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभि स्रवन्तु नः।। (यजु. ३६/१२)
शब्दार्थ :- शम – कल्याणकारी नः – हमारे लिए देवीः – सबका प्रकाशक अभिष्टये – मनोवांछित सुख के लिए आपः – सर्वव्यापक ईश्वर भवन्तु – होवे पीतये – मोक्षसुख के लिए शंयोः – सुख की अभिस्रवन्तु – वर्षा करे नः – हमारे लिए।
इस मन्त्र में मानव जीवन लक्ष्य को अभिष्टी तथा पीती शब्दों द्वारा भोग और अपवर्ग रूप में अभिव्यक्त किया गया है। संसार साधन है ब्रह्म साध्य है। त्यागपूर्वक भोग ही अपवर्ग का मार्ग प्रशस्त करेगा।