098 Mayeedamindra

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मूल प्रार्थना

मयी॒दमिन्द्र॑ इन्द्रि॒यं द॑धात्व॒स्मान् रायो॑ म॒घवानः॑ सचन्ताम्।

अ॒स्माक॑ꣳ सन्त्वा॒शिषः॑ स॒त्या नः॑ सन्त्वा॒शिषः॑॥५१॥

यजु॰ २।१०

व्याख्यानहे इन्द्र परमैश्वर्यवन् ईश्वर! “मयि मुझमें विज्ञानादि शुद्ध इन्द्रिय “दधातु धारण करो और “रायः उत्तम धन को “मघवानः परम धनवान् आप हमारे लिए “सचन्ताम् सद्यः प्राप्त करो। हे सर्वकाम पूर्ण करनेवाले ईश्वर! आपकी कृपा से हमारी आशा सत्य ही होनी चाहिए, (पुनरुक्त अत्यन्त प्रेम और त्वरा द्योतनार्थ है)। हे भगवन्! हम   लोगों की इच्छा आप शीघ्र ही सत्य कीजिए, जिससे हमारी न्याययुक्त इच्छा के सिद्ध होने से हम लोग परमानन्द में सदा रहें॥५१॥

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