अथ सङ्कल्पपाठः
ओं तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीयप्रहरोत्तरार्द्धे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमें कलियुगे कलिप्रथम- चरणेऽमुक….. संवत्सरे, …..अयने, …..ऋतौ, …..मासे, …..पक्षे, …..तिथौ, …..वासरे, …..नक्षत्रे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तदेशान्तर्गते …..प्रान्ते, …..जनपदे, …..मण्डले, …..ग्रामे/नगरे, …..आवासे/भवने, मया/अस्माभिः दैनिक अग्निहोत्र-कर्म क्रियते।
कालगणना
सृष्टिसंवत् संधिकाल रहित 1,96,08,53,115 संधिकाल सहित 1,97,29,49,117 (ईश संवत 2015 के हिसाब से)
14 मन्वन्तर :- 1. स्वायम्भुव, 2. स्वरोचिष, 3. औत्तमी, 4. तामस, 5. रैवत, 6. चाक्षुष, 7. वैवस्वत, 8. सावर्णि, 9. दक्षसावर्णि, 10. बृहत्सावर्णि, 11. धर्मसावर्णि, 12. रुद्रपुत्र, 13. रौच्य, 14. भौतव्यक।
71 चतुर्युगियां = एक मन्वन्तर।
सत-युग 17 लाख 28 हजार वर्ष
त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष
द्वापरयुग 8 लाख 64 हजार वर्ष
कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष
2 अयन :-
दक्षिणायन 22 जून से 21 दिसम्बर।
उत्तरायण 22 दिसम्बर से 21 जून
6 ऋतुएं :-
ऋतुएं चान्द्रमास सौरमास
वसन्त चैत्र-वैशाख मधु-माधव
ग्रीष्म ज्येष्ठ-आषाढ शुक्र-शुचि
वर्षा श्रावण-भाद्रपद नभस्-नभस्य
शरद आश्विन-कार्तिक ईष-ऊर्ज
हेमन्त मार्गशीर्ष-पौष तपस्-तपस्य शिशिर माघ-फाल्गुन सहस्-सहस्य