घेरों को घेर दो उन्मुक्त हो ही जाओगे
औरों के लिए रो दें
ब्रह्म को जितने भी रास्ते जाते हैं औरों के मार्फत ही जाते हैं। कोई भी आदमी से सम्बन्धित हुए बिना मोक्ष तक नहीं पहुंच सकता। इस कडी को भुला देना, आदमी को प्यार न करना अध्यात्म से भटक जाना है।
“क्या करेगा प्यार वह ईमान को
क्या करेगा प्यार वह भगवान को
होकर के एक इन्सान जो
कर न सका प्यार एक इन्सान को”
नीरज के इन शब्दों को गहराई तक हमें जीना होगा। ईमान, भगवानों को प्यार करने के लिए इन्सानों को प्यार करना होगा। हम इन्सानों के प्यार में व्यापक हो जाएं। मोक्ष, ब्रह्म हमें अप्राप्त न रहेगा।
अबू बेन सो रहा था, सपने में परी आई। सुनहरी किताब के सुनहरी पन्नों पर कुछ लिख रही थी उनका नाम जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं। अबू का नाम उसमें नहीं था। उसने परी से कहां “मेरा नाम इसमें लिख लो तथा यह लिख दो कि अबू परमेश्वर के बन्दों से प्यार करता है। कई दिन बीत गए, अबू को एक बार फिर सपने में वही परी दिखी। उसके पास के हीरक पुस्तक के हीरक पन्नों पर उनके नाम अंकित थे जिनको परमेश्वर प्यार करता है। अबू ने पूछा “मेरा नाम है इसमें?” परी ने दिखाई पहला नाम अबू का था। परमेश्वर उन्हें सर्वाधिक चाहता है जो परमेश्वर के बन्दों को प्यार करता है। परमेश्वर का बन्दा हिन्दू भी उतना ही है जितना मुसलमान, ईसाई या और कोई। इन बन्दों के बीच दीवारें खींचना अपने को प्रभु से दूर करना है। इन खींची दीवारों को तोड़ना अपने को प्रभु के निकट करना है।
अपने आप को जितना करता है उतना ही आदमी दूसरे को प्यार कर ले तो वह धार्मिक हो जाएगा। सही अर्थों में आध्यात्मिक हो जाएगा। इस पथ पर तो दीवाना चल पड़ता है। उसका आशियां गैरों का अपनत्व ही होता है। वह इन्सान की इस खूबसूरत परिभाषा में ढ़ल जाता है।
मिटाकर आशियां अपना
बसा दे गैर की महफिल,
बलाएं लूं में उस दिल की
जो औरों के लिए रो दे।
अपने जख़्म भूल औरों की ख़रोंचों पर मलहम लगाने वाले सत्पुरुषों के लिए किसके मन में प्यार न होगा.. आदर न होगा? इस पथ पर चल पड़ने वाले के लिए धर्म जीना उतना ही सरल होता है जितना कि सांस लेना। स्व. डॉ. त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रियपी.एच.डी. (दर्शन – वैदिक आचार मीमांसा का समालोचनात्मक अध्ययन), एम.ए. (आठ विषय = दर्शन, संस्कृत, समाजशास्त्र, हिन्दी, राजनीति, इतिहास, अर्थशास्त्र तथा लोक प्रशासन), बी.ई. (सिविल), एल.एल.बी., डी.एच.बी., पी.जी.डी.एच.ई., एम.आई.ई., आर.एम.पी. (10752)