सत्यासत्य परीक्षा की कसौटियां
- जो-जो ईश्वर के गुण-कर्म-स्वभाव और वेदों से अनुकूल हो, वह-वह ‘सत्य’ तथा उससे विरुद्ध असत्य है।
- जो-जो सृष्टिक्रम से अनुकूल वह-वह ‘सत्य’ और जो-जो सृष्टिक्रम से विरुद्ध असत्य है।
- ‘आप्त’ अर्थात् जो धार्मिक, विद्वान्, सत्यवादी, निष्कपटियों के संग उपदेश के अनुकूल हो वह-वह ग्राह्य और जो-जो विरुद्ध हो वह-वह अग्राह्य।
- अपने आत्मा की पवित्रता, विद्या के अनुकूल अर्थात् जैसा अपने को सुख प्रिय और दुःख अप्रिय है वैसे ही सर्वत्र समझ लेना कि मैं भी किसी को दुःख, सुख दूंगा तो वह भी प्रसन्न और अप्रसन्न होगा।
- आठों प्रमाण अर्थात् प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, ऐतिह्य, अर्थापत्ति सम्भव और अभाव।
महर्षि दयानन्द – (सत्यार्थ प्रकाश तीसरा समुल्लास)