भारत के नरवर जगत के गुरुवर।
पुरुष-प्रवर तू प्रखर वीरवर था।।
नेता नर नाहर तू अडग गिरिवर तू।
सदा सुखकर तू शीतल सरवर था।।
काराणी कहत गरजत महासागर सा।
असत तिमिर पर उग्र दिनकर था।।
नीडर निरभिमानी निरअभिलाषी नर।
शौर्य वीर्य साहस में शेरे बब्बर था।।४५।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई