इस पुस्तक में महर्षि दयानन्द जी द्वारा प्रणीत वैदिक संध्योपासना के साथ-साथ प्रणव ध्यान, गायत्री मन्त्र ध्यान, आर्य समाज के द्वितीय नियमाधारित ध्यान, अष्टांग योग से सम्बन्धित चुने हुए अर्थ सहित पातंजल सूत्र तथा स्व.डॉ.त्रिलोकीनाथ जी क्षत्रिय रचित अति आत्म साधना दी गई है।