धर्म को उठानेवाला अधर्म को ढानेवाला।
आंधी को उड़ानेवाला ज्ञान का उजाला तू।।
आप ही के आप वस्त्रालंकारें लुटानेवाला।
कौपीन लगानेवाला नेता ही निराला तू।।
आर्यवर आला प्रेम पीयूष पिलानेवाला।
वीर गान गानेवाला वो ही वेदोंवाला तू।।
काराणी कहत वेद बंसी के बजानेवाला।
तेरी बोलबाला मेरा परम कृपाला तू।।२३।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई