अनल पे नीर जैसो नीर पे समीर जैसो।
जैसो धन तिमिर पे तरणी को तीर है।।
जैसो कंसराज पर चक्रधर कृष्णचन्द्र।
जैसो नक्षत्रियमें परसराम वीर है।।
काराणी कहत जैसे पहाड पे वज्रपात।
जैसो राज रावण पे राम रणधीर है।।
जैसो मृगझुण्ड पे महान मृगराज वैसो।
पाखण्ड के पन्थ पर दयानन्द वीर है।।३१।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई