पर उपकार धर्म शृंगार…

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“ब्रह्म निकटतम”

पर उपकार धर्म शृंगार, जीवन का आधार है।
सुख जीवन पूर्व हैं तो सुख ही जीवन पार है।। टेक।।

सत्संग करते पढ़ते पढ़ते जीवन समृद्ध हो गया।
गहन साधना करते करते निकटतम ब्रह्म हो गया।
आनन्दधार सूक्ष्मविचार जीवन का आधार है।। 1।।

सहजतम मर्म हर श्वास कर्म अस्तित्व दिव्य हो गया।
पंचम कोष त्रि शरीर ऋतत्व में है खो गया।
सर्वोच्चानन्द मोक्षानन्द जीवन का आधार है।। 2।।

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