लोगों ने बनायी प्रभु प्रतिमा पूजनकाज।
अपनी अपूर्णताएं उनमें लगाई है।।
प्रतिमा को लगे भूख-प्यास-शीत-ताप लगे।
सोने जगाने के लिए घण्टडी बनाई है।।
काराणी कहत जड़ पत्थर के पूजन ते।
तन-मन-जीवन में जड़ता जमाई है।।
चेतन के चन्द दयानन्द ने दिखाई दीनो।
न तस्य प्रतिमाऽस्ति ये वेद की दुहाई है।।१९।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई