उदेपुर राजन सज्जनसिंह ने एक समय।
स्वामीजी को बात एक बताई ईनाम की।।
महर्षि न कीजे मूर्तिपूजा का विरोध अब।
लीजीए जागीर आप एकलिंगधाम की।।
सारे धर्म-धामहु के बनादूं महन्त बड़े।
और भी दिलाऊं जायदाद लाख दाम की।।
महर्षि कहत वेद-धर्म के विरुद्ध यह।
तुच्छ जायदाद न हमारे कुछ काम की।।३३।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई