दयानन्द दयाला…

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ज्ञान बरसायो मेह गेह-गेह घूमी-घूमी।

मात भारत भूमि तेरे नेह तें निहाला है।।

भारत में भोर भयो दिनकर दौर भयो।

भागे भैरों-भूत ऊलूकों का मुंह काला है।।

काराणी कहत हिन्द-लाला मतवाला तूने।

पाखण्डों का जाला कोट किल्ला तोड़ डाला है।।

सत्य को संभाला तूने असत्य को ढाला तूने।

प्रेम धर्म पाला दयानन्द तू दयाला है।।२६।।

~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई

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