तू कहीं नजर न आया…

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तू कहीं नजर न आया

नहीं आज तक किसी ने, तेरा मुकाम पाया।
हर जा पे जाके देखा, तू कहीं नजर न आया।।

ये चाँद और सितारे, हर-दम ये कह रहे हैं।
हर शय में तेरा जलवा, हर दिल में तू समाया।। 1।।

जो दर पे तेरे पहुँचा, चमका वो आसमाँ पर।
जिसने किया तकब्बर, वह खाक में मिलाया।। 2।।

जब सिर पे हो मुसिबत, चलता है फिर पता यह।
जग में है कौन अपना, और कौन है पराया।। 3।।

उस हाल में रहें हम, जिसमें तेरी रजा है।
होकर रहा पथिक वह, जो भी है तुझको भाया।। 4।।

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