आर्याभिविनय विज्ञापन व्यवहारभानु।
भ्रान्ति निवारण संध्या वेदांग प्रकाश है।।
पंच महायज्ञविधि सत्य असत्य विवेक।
अष्टाध्यायी स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश है।।
गोकरुणानिधि भ्रमोच्छेदन संस्कारविधि।
प्रतिमा-पूजन यजु ऋग्वेदादि भाष्य है।।
आर्योद्देश्य-रत्नमाला पाखण्ड खण्डन आदि।
महर्षि को महाग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश है।।४३।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई