भारत की एक भव्य विभूति विरजानन्द।
गुरुवर शरण में दयानन्द आयो है।।
प्रज्ञाचक्षु गुरुजी को क्रोधी स्वभाव सह्यो।
शिष्य को सुधर्म सहिष्णुता अपनायो है।।
वेदधर्मोद्धार-व्रत दिया गुरुदक्षिणा में।
या ते गुरुराज ने अपार हर्ष पायो है।।
काराणी कहत गुरुज्ञान से प्रकाशमान।
देव दयानन्द ने जगत में झुकायो है।।८।।
~ दयानन्द बावनी
स्वर : ब्र. अरुणकुमार “आर्यवीर”
ध्वनि मुद्रण : कपिल गुप्ता, मुंबई