एक साथ उच्चार करें, हम ऐसा व्यवहार करें।
एक मन्त्र का घोष करें, कृण्वन्तो विश्वमार्यम्।। टेक।।
आज नहीं प्राचीन समय से वेद हमारा साथी।
दूर दूर तक फैलाई थी वैदिक धर्म की ख्याति।
किन्तु चक्र जब घूम पड़ा तो लक्ष्य हुआ था ओझल।
जाग उठी अब दृष्टि हमारी नहीं रही है अब बोझल।। 1।।
वेद और उपनिषत् सिखाते जो गन्तव्य हमारा।
रामायण गीता सिखलाती शुभ कर्तव्य हमारा।
मिले विश्व में दूर दूर तक वैदिक संस्कृति के अवशेष।
प्रेरित करते रहे सदा ही देकर जागृति का संदेश।। 2।।
खण्ड खण्ड क्यों आज हो रही भारत भूमि कल्याणी।
धर्म विमुख क्यों आज हो रहे आर्यधर्म के अभिमानी।
कार्य हमें ऐसा करना फिर भारतवासी नेक बनें।
संगच्छध्वं धर्मो रक्षति ऋषियों का सन्देश सुने। 3।।
अखिल विश्व में एक बार फिर उन्नत ओ3म् ध्वजा डोले।
अखिल विश्व में एक बार फिर वैदिक धर्म की जय बोले।
वेदों के अनुशीलन से हम नित्य नए आविष्कार करें।
एक बार जगति का मानव भारत का जयकार करे।। 4।।