ईश्वर और वेद
प्र. १) नास्तिक किसे कहते हैं ?
उत्तर : जो व्यक्ति ईश्वर को ठीक से नहीं जानता, नहीं मानता और उसका ध्यान नहीं करता है उसे नास्तिक कहते हैं।
प्र. २) मनुष्य के समस्त दुःखों का कारण क्या है ?
उत्तर : ईश्वर को न मानना ही मनुष्य के समस्त दुःखों का कारण है।
प्र. ३) जड़ और चेतन मे अन्तर बताइए ?
उत्तर : १. जड़ में इच्छा नहीं होती है, चेतन में होती है। २. सुख आदि की अनुभूति जड़ को नही होती है, चेतन को होती है। ३. परिवर्तन सड़ना, गलना जड़ में होता है, चेतन में नहीं। ४. जड़ में ज्ञान नहीं होता है, चेतन में होता है। ५. जड़ में लंबाई, चौडाई, रूप रंग होते हैं, चेतन निराकार होता है।
प्र. ४) जड़ और चेतन के उदाहरण दीजिए ?
उत्तर : जड़ के उदाहरण -पत्थर, लकड़ी, लोहा, अग्नि, वायु, कार, कम्प्यूटर, मोबाइल। चेतन के उदाहरण – आत्मा और परमात्मा।
प्र. ५) क्या ईश्वर सर्वव्यापक है ?
उत्तर : हाँ, ईश्वर सर्वव्यापक है। ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ पर ईश्वर न हो।
प्र. ६) यदि ईश्वर सब जगह है तो वह दिखाई क्यों नहीं देता है ?
उत्तर : निराकार होने के कारण ईश्वर दिखाई नही देता है।
प्र. ७) न्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर : कर्मों के अनुसार फल देने को न्याय कहते हैं।
प्र. ८) बुरे कर्मों का फल माफ होता है अथवा नहीं ?
उत्तर : नहीं, बुरे कर्मों का फल माफ नहीं होता है।
प्र. ९) क्या दण्ड से बचने के लिए पूजा, प्रार्थना, यज्ञ करना चाहिए ?
उत्तर : एक बार अपराध कर लेने पर उस कर्म का फल भोगना ही पड़ता है। यह ईश्वर का नियम है। अतः दण्ड से बचने के लिए पूजा, प्रार्थना, यज्ञ, करना व्यर्थ है।
प्र. १०) दया किसे कहते हैं ?
उत्तर : दूसरों के दुःखों को दूर करने की इच्छा को दया कहते हैं।
प्र. ११) ईश्वर दयालु है तो हमारे पापों को क्षमा क्यों नहीं करता ?
उत्तर : पाप क्षमा होने से सुधार नहीं होता बल्कि व्यक्ति पहले से और अधिक पाप करने लग जाता है। ईश्वर की इच्छा है कि हमारा सुधार हो । जिससे हम भविष्य में बुरे कर्म न करें । इसलिए ईश्वर हमारे पापों को क्षमा नही करता है।
प्र. १२) सर्वशक्तिमान् शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर : जो अपने किसी भी कार्य को करने में दूसरों की सहायता नही लेता उसे सर्वशक्तिमान् कहते हैं।
प्र. १३) ईश्वर ने संसार क्यों बनाया है ?
उत्तर : ईश्वर ने इस संसार को हमारे सुख, कल्याण, और शान्ति के लिए बनाया है।
प्र. १४) हमें ईश्वर से क्या मांगना चाहिए ?
उत्तर : हमें ईश्वर से विद्या, बल, बुद्धि, शक्ति और समृद्धि मांगना चाहिए।
प्र. १५) क्या प्रार्थना करने से सब चीजें मिल जाती हैं ?
उत्तर : केवल प्रार्थना करने से कुछ प्राप्त नहीं होता। प्रार्थना के साथ पूर्ण पुरुषार्थ करना चाहिए।
प्र. १६) उपासना शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर : उपासना शब्द का अर्थ है मन से शुद्ध होकर ईश्वर के गुणों की अनुभूति करना।
प्र. १७) उपासना करने से क्या लाभ हैं ?
उत्तर : उपासना करने से हमारा आत्मिक बल बढता है, दुःख दूर होते हैं, विद्या, बल, और आनन्द की प्राप्ति होती है।
प्र. १८) ईश्वर निराकार है तो बिना हाथ-पैर के संसार को कैसे बना लेता है ?
उत्तर : जैसे चुम्बक बिना हाथ के लोहे को खींच लेता है, सूर्य की किरणें जिस प्रकार बिना पैर के गति करती हैं, वैसे ईश्वर भी अपने शक्ति सामर्थ्य से बिना हाथ-पैर के ही संसार की रचना कर लेता है।
प्र. १९) क्या ईश्वर अवतार लेता है ?
उत्तर : नहीं, ईश्वर अवतार नहीं लेता है।
प्र. २०) ईश्वर का अवतार मानने में क्या दोष हैं ?
उत्तर : ईश्वर का अवतार मानने में निम्न दोष हैं – १) अवतार लेने से ईश्वर में सर्वज्ञत्व, सर्वव्यापकत्व एवं सर्वशक्तिमत्व आदि गुण नहीं रह जाएंगे। २) सृष्टि का कर्ता, धर्ता और संहर्ता ये गुण भी अवतारी ईश्वर में नहीं रह जाएंगे। ३) जन्म लेने से एकदेशी होने के कारण जीवों के कर्मों का द्रष्टा तथा कर्मफलदाता आदि नहीं हो सकता। ४) जन्म लेने से ईश्वर सुख-दुःख, भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी एवं क्लेशयुक्त होगा, जोकि ईश्वर के स्वभाव से विपरीत है।
प्र. २१) क्या आत्मा और परमात्मा एक ही हैं ?
उत्तर : आत्मा और परमात्मा एक नहीं है।
प्र. २२) हम अपनी इच्छा से कर्म करते हैं अथवा परमात्मा की ?
उत्तर : हम अपनी इच्छा से ही कर्म करते हैं, परमात्मा की इच्छा से नहीं।
प्र. २३) परमात्मा की इच्छा से कर्म करना मानने में क्या दोष है ?
उत्तर : हम परमात्मा की इच्छा से ही कर्म करना मानेंगे तो संसार में बुराई नहीं रहनी चाहिए। क्योंकि ईश्वर की इच्छा कभी बुरी नहीं हो सकती है।
प्र. २४) ईश्वर के साथ हमारा क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर : ईश्वर हमारा पालक, रक्षक, बन्धु, गुरु, आचार्य, स्वामी, राजा और न्यायाधीश है।
प्र. २५) वेद किसे कहते हैं ?
उत्तर : ईश्वर के उपदेश को वेद कहते हैं।
प्र. २६) वेद कितने हैं, उनके नाम बताइए ?
उत्तर : वेद चार हैं- १) ऋग्वेद, २) यजुर्वेद, ३) सामवेद, ४) अथर्ववेद।
प्र. २७) वेद का ज्ञान कब दिया गया था ?
उत्तर : वेद का ज्ञान सृष्टि के आरम्भ में दिया गया था।
प्र. २८) ईश्वर ने वेद का ज्ञान किसे दिया था ?
उत्तर : ईश्वर ने वेद का ज्ञान चार ऋषियों को दिया था।
प्र. २९) हमारा धर्मिक ग्रन्थ कौन सा है ?
उत्तर : हमारा धर्मिक ग्रन्थ वेद है।
प्र. ३०) हमें वेद को ही क्यों मानना चाहिए ?
उत्तर : वेद ईश्वरीय ज्ञान है। वेद में सब सत्य बातें हैं, इसलिए वेद को ही मानना चाहिए।
प्र. ३१) वेद किस भाषा में है ?
उत्तर : वेद संस्कृत भाषा में है।
प्र. ३२) क्या वेद ऋषियों ने नहीं लिखे हैं ?
उत्तर : वेद ऋषियों ने नहीं लिखे हैं।
प्र. ३३) उन ऋषियों के नाम बताइए जिन्हें वेद का ज्ञान प्राप्त हुआ ?
उत्तर : उन ऋषियों के नाम हैं – १) अग्नि, २) वायु, ३) आदित्य, ४) अंगिरा।
प्र. ३४) सामवेद में कितने मन्त्र हैं ?
उत्तर : सामवेद में १८७५ मन्त्र हैं।
प्र. ३५) वेद पढ़नें का अधिकार किसे है ? उत्तर : सभी मनुष्यों को वेद पढ़ने का अधिकार है।