ईश्वरभक्ति से होने वाले लाभ

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  1. पर्वत के समान कष्ट आने पर भी नहीं डरता, सबको सहन कर जाता है।
  2. प्रमाणों से सिद्ध सत्य को ग्रहण करने के लिए उद्यत रहता है, दुराग्रह नहीं करता।
  3. उसे ऐसा सामर्थ्य प्राप्त होता है कि वह सदा सत्य ही बोलता है, असत्य नहीं।
  4. अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहता है औश्र संगठन की स्थापना करता है।
  5. अन्याय को छोड़ सदा न्यायाचरण करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है।
  6. उसे ऐसी पवित्रता प्राप्त होती है कि वह मद्यमांसादि का सेवन नहीं करता, सदा न्यायोपार्जित भोजन को ही स्वीकार करता है।
  7. उसे ऐसा ज्ञान प्राप्त होता है कि वह समस्त प्राणियों को आत्मवत् देखता है, अर्थात् उनके सुख-दुःख, हानि-लाभ को अपने सुख-दुःख, हानि-लाभ समझता है।
  8. मानापमान से सुखी-दुःखी नहीं होता है।
  9. न्यायकारियों का सहयोग करता है और अन्यायकारी चक्रवर्ती राजा से भी नहीं ड़रता है।
  10. ईश्वर के सानिध्य से आनन्द का उपभोग करता है, अतः तन-मन-धन से प्राणिमात्र के उपकार में तल्लीन रहता है।
  11. उसे ऐसा सामर्थ्य प्राप्त होता है कि वह सबके साथ प्रीति से व्यवहार करता है, किसी से भी द्वेष नहीं करता है।
  12. सदा निष्काम कर्म करता है, सकाम नहीं।
  13. योगी मन और इन्द्रियों पर नियन्त्रण प्राप्त करता है।
  14. समस्त क्लेशों से तथा बन्धनों से मुक्त होता है एवं ईश्वर के नित्यानन्द का अनुभव करता है।
  15. अविद्या का नाश और विद्या की प्राप्ति करता है।

साभार योगदर्शनम्- स्वामी सत्यपति परिव्राजक

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