परिभाषाएं
ये दुनिया पूरी की पूरी परिभाषाओं का खेल है।
परिभाषाएं जो सिर्फ मान ली गई हैं।
मैं और मेरी अहमता
पेड़ पर एक बेल है गुत्थम गुत्था।
पेड़ मैं हूं बेल है मेरी अहमता।
इच्छाएं
तपती दोपहरी इमली की छांव ढेर सारे जानवर।
जानवर इच्छाएं हैं दुपहरी जीवन इमली हूं मैं।
बुद्धि अर्थिका
तन मन्दिर स्व देवता बुद्धि है जो अर्थिका।
अद्भुत नृतन करती वस्त्रहीन हो जाती पूर्णतः।
इकाई
तुम व्यवस्था हो मैं हूं इकाई एक।
तुम सच नहीं हो सकती मैं तो हूं सच।
चक्कर
कोल्हू के बैल की आंख पर पट्टी गले में जुआ होता है।
बैल से गया बीता बिना पट्टी जुआ चक्कर काटता है आदमी।
व्यवस्था
व्यवस्थाओं में बंधकर ही आदमी पापी-पुण्यात्मा होता है।
मैंने तो किसी भी व्यवस्था के कोई कपड़े नहीं पहने हैं।