लोगों के बीच मान्यम वीरुदू अर्थात जंगल का हीरो नाम से प्रसिद्द और 1922 से 1924 के बीच अंग्रेजों के दमन के विरुद्ध चले आदिवासियों के रम्पा विद्रोह के नेतृत्व करने वाले क्रांतिकारी अल्लूरी सीतारामा राजू का आज जन्मदिवस है| आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के पन्दरंगी गाँव में 4 जुलाई 1897 को जन्मे राजू ने 1882 के मद्रास फारेस्ट एक्ट के विरुद्ध आदिवासियों के क्षोभ को दिशा दे ब्रिटिश शासन की नींद हरम कर दी थी|
इस एक्ट में आदिवासियों के वनों में निर्बाध विचरण को प्रतिबंधित कर दिया गया था जिससे उनकी स्थान बदल बदल कर की जाने वाली परंपरागत खेती ख़त्म हो गयी और उनके अन्दर विद्रोह की भावना ने जन्म लिया| बंगाल के क्रांतिकारियों से प्रेरणा ले राजू ने इसी भावना को दिशा दे आदिवासियों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष के लिए प्रेरित किया और गुरिल्ला पद्धति के प्रयोग से विशाखापत्तनम एवं ईस्ट गोदावरी जिलों में अंग्रेजों को नाकों चने चबबा दिए|
ना जाने कितने ही ब्रिटिश अधिकारी मारे गए और कितना ही गोला बारूद और हथियार लूटे गए| परेशान अंग्रेजी सरकार ने पूरी शक्ति इस विद्रोह को कुचलने में लगा दी| राजू के कई साथी पकडे गए और कई मारे गए पर राजू अनवरत संघर्ष में लगे रहे | अंत में चिंतापल्ली के जंगलों में राजू को घेर लिया गया और 7 मई 1924 को गोली मार कर उनका अंत कर दिया गया और इस तरह से 28 वर्ष की आयु में मातृभूमि की बलिवेदी पर राजू ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए| आज उनके जन्मदिवस पर उनको कोटिशः नमन |
लेखक : विशाल
चित्र : माधुरी