अनुवाद कला पाठ १

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अभ्यास १

१. हम ईश्वर को नमस्कार करते हैं और पाठकों का मङ्गल चाहते हैं |
= वयम् ईश्वरम् वन्दामहे पाठकानां च अरिष्टम् अभिलषामहे |

२. राजा दुष्टों को दण्ड देता है और मर्यादाओं कि रक्षा करता है |
= राजा दुष्टान् दण्डयति मर्यादा: च रक्षति |

३. विनय विद्या को सुशोभित करता है और क्षमा बल को |
= विनय: विद्यां सुशोभयति क्षमा च बलम् |

४. इन विद्यार्थियों कि संस्कृत में रुचि हि नहि अपितु लगन भी है |
= एतेषां विद्यार्थीनाम् संस्कृते केवलं रुचिरेव न अपितु आसक्तिरप्यस्ति |

५. वें शास्त्रों का चाव से परिशीलन करते हैं और सन्मार्ग में रहते हैं |
= ते शास्त्राणि अभिरुच्या परिशीलयन्ति सन्मार्गं च अभिनिविशन्ते |

६. यति परमेश्वर का ध्यान करता है और तपस्या से पाप का क्षय करता है |
= यति: परमेश्वरं ध्यायति तपसा च पापं दूरी करोति |

७. राम ने शङ्कर के धनुष को तोडकर सीता से विवाह किया |
= राम: शाङ्करं धनु: आनमय्य सीतां पर्यणयत् |

८. धाया दूधमुहे बच्चे के वस्त्रों को धोती है |
= धात्री स्तनन्धयस्य वस्त्राणि धावति |

९. छात्रों ने उपाध्याय को देखा और झुककर चरणों में नमस्कार किया |
= उपाध्यायं दृष्ट्वा छात्रा: चरणयो: प्रण्यपतन् |

१०. मनोरमा ने गीत गाया और सारे होल में सन्नाटा छा गया |
= मनोरमा च गीतं प्रागायत् सभा च प्राशाम्यत् |

११. तुम दोनों ने अवश्य ही अपराध किया है | तुम्हारा इनकार कुछ अर्थ नहीं रखता |
= अवश्यमेव अपराद्धं युवाभ्याम् | अनर्थकं युवयोः प्रतिषेध: |

१२. विश्वामित्र ने चिरकाल तक तपस्या कि और ब्राह्मणत्व को प्राप्त किया
= विश्वामित्र: चिरं तपश्चचार ब्राह्मणत्वं च जगाम |

१३. वह मालती के पुष्पों को सूंघता है और ताजा हो जाता है |
= स च मालतीपुष्पाणि जिघ्रति नवश्च भवति |

१४. मैं गौ को ढूढ रहा हू , नहीं मालूम किस और निकल गयी है |
= अहं गां मृगये न जाने कां दिशं प्रति निरगच्छत् |

१५. वह घोडे से गिर गया , इससे उसके सर पर चोट आई |
= स: अश्वात् पतित: अत: तस्य शिरोघात: जात: |

१६. मेरे पास पुस्तक नहीं है , मैं पाठ कैसे याद करुं ?
= मे पुस्तकं नास्ति पाठं कथं स्मराणि ?

१७. तू नरक को जायेगा , तू गुरुओं का तिरस्कार करता है |
= त्वं नरकगामी भविष्यसि यद् गुरून् अवजानासि |

१८. वे माता पिता की सेवा करते हैं , अत: सुख पाते हैं |
= ते पितरौ सेवन्ते अत: सौख्यं लभन्ते |

१९. ब्रह्मचारी गुरु से आज्ञा पा जङ्गल से समिधा लाते हैं |
= ब्रह्मचारिण: गुर्वाज्यां प्राप्य वनात समिधः आवहन्ति |

२०. बच्चा अग्नि में हाथ डाल देता है और माता उसकी और दौडती है |
= वटु: अनले हस्तप्रक्षेपं करोति माता च तं प्रति धावति |

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